विशेष बनने के लिए दूसरों की कमियां न देख विशेषताएं देंखे - राजयोगिनी संतोष दीदी
Gulshan Paruthi - Gwalior
केंद्र प्रभारी बीके आदर्श दीदी ने सभी का स्वागत अभिनन्दन किया और सभी को ध्यान साधना शिविर के उद्देश्य से अवगत कराते हुए कहा कि इस तरह के ध्यान शिविर हमारे जीवन में उन्नति की सीढ़ी बनते है। यह हमारा सौभाग्य है कि आदरणीय दीदी जी हमारे निमंत्रण पर इतनी दूर से हम सबके बीच पधारी है। अतः हम सबको इस अवसर का लाभ लेते हुए स्वयं को आपके अनुभवों से भरपूर करना है।
तत्पश्चात रशिया से पधारी राजयोगिनी बीके संतोष दीदी जी का ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए राजयोग ध्यान के महत्व और इसके माध्यम से मानसिक शांति और आत्मिक सशक्तिकरण के तरीकों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि राजयोग ध्यान न केवल हमारे मन को शांति प्रदान करता है, बल्कि हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति भी देता है अतः राजयोग ध्यान साधना को अपने दैनिक जीवन में अवश्य शामिल करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब हम देह अभिमान में होते है तो हमारे जीवन में अनेकानेक समस्याएं आती है। लेकिन जब स्वयं के वास्विक स्वरुप आत्मा की स्मृति रखते है तो हम जीवन में ख़ुशी का अनुभव करते है तथा समस्याओं पर भी विजय प्राप्त कर सकते है।
जीवन में ज्यादातर दुःखों का कारण मेरापन है। हम अनेक प्रकार भौतिक साधनों को अपना मानकर चलते है जबकि यह सब अस्थायी है। आपके पास जो कुछ भी है सब ईश्वर का दिया हुआ है इसलिए स्वयं को निम्मित मात्र समझने से दुखों को समाप्त कर सकते हैं।
हम सभी आत्माएं परमधाम निवासी हैं। और परम पिता परमात्मा की संतान है यह स्मृति अवश्य रखें। इस धरती पर पार्ट प्ले करने के लिए आए हुए हैं, यदि यह स्मृति रखते है तो हम दूसरों के पार्ट से प्रभावित हुए बिना अपने पार्ट को बेहतर तरीके से प्ले कर सकते है।
आत्मा ने इस संसार में अनेक बार जन्म लिया अनेक हिसाब किताब कि परते उस पर चढ़ी हुयी है इसकी बजह से जीवन में उतार चढाव आते है। लेकिन इनसे घबराना नहीं चाहिए परमात्मा की याद यह सब ठीक करने में हमें बहुत मदद करती है। जिस प्रकार से हीरा अगर मैला हो जाए तो उसे फेंका नहीं जाता अपितु उसे साफ कर पुनः इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि परमात्मा ने इस धरा को स्वर्ग बनाया था। हम सबको मिलकर आपने जीवन से बुराइयों को त्याग कर दिव्यगुणों को धारण कर अपने जीवन को सुंदर और धरती को स्वर्ग बनाना है। और यह तभी संभव है जब हम स्व परिवर्तन करेंगे।
वर्तमान समय के हिसाब से हमें कुछ बातों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए-
- हमें स्वयं को चेक कर परिवर्तन करना हैं दूसरों को नहीं देखना हैं।
- घर में या अपने कार्यस्थल पर रहते हुए भी हमें अपने सभी कार्य समयानुसार करना है।
- बेहतर नींद के लिए रात को सोते समय मोबाइल का उपयोग नहीं करना है,
- अपने दैनिक कार्यों में ईश्वर कि याद को शामिल करना है, जिससे सभी कार्य सहज हो जायेंगे।
- अपने व्यवहार एवं बोलचाल को स्नेहयुक्त और मधुर बनाने का हर संभव प्रयास करना है।
- स्वयं को इर्ष्या, द्वेष घृणा आदि नकारात्मक भावों से ऊपर उठ एक दूसरे को आगे बढाने का प्रयास करना है।
- दूसरों की कमी कमजोरी न देखते हुए एक दूसरे कि विशेषता देखना और वर्णन करना चाहिए जिससे वह विशेषताएं आपके जीवन का हिस्सा बन जाएँगी।
इसके साथ ही उन्होंने सभी को राजयोग कि गहन अनुभूति कराई।
कुछ एक रचनात्मक एक्टिविटी के साथ सत्र को पूरा किया।
कार्यक्रम में सैकड़ों कि संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।