स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर, दिल्ली में विराट ‘विश्वशांति महायज्ञ’ का आयोजन दिल्ली, 12 अक्टूबर 2024
दिल्ली के स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर में विजयादशमी (दशहरा) के पावन अवसर भव्य ‘विश्वशांति महायज्ञ’ का आयोजन किया गया। इस आध्यात्मिक अनुष्ठान में दुनिया में शांति स्थापित करने की भावना के साथ 114 यज्ञ कुंडों की पवित्र आहुतियां दी गईं। इस महोत्सव में बड़ी संख्या में भक्तों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिसमें वरिष्ठ संतों की उपस्थिति भी शामिल रही।
यह आयोजन भगवदगीता और परम पूज्य महंतस्वामीजी महाराज की शिक्षाओं से प्रेरित था। इस यज्ञ में 114 यज्ञ कुंडों का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 2500 यजमान थे, जिनमें से 900 दंपतियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम प्रभारी यश संपट ने बताया, “भगवदगीता के गहन ज्ञान से प्रेरणा लेकर, महायज्ञ ब्रह्म, परमात्मा की पूजा का एक माध्यम बना। गीता के श्लोक “सर्व कर्म ब्रह्म में समाप्त होते हैं, यज्ञ के माध्यम से” (अध्याय 3, श्लोक 15) को इस यज्ञ का मूल मंत्र माना गया। इस प्राचीन वैदिक अनुष्ठान के माध्यम से भक्तों ने शांति के लिए प्रार्थनाएं कीं और मानवता के लिए दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास किया।”
दिनभर, प्रतिभागियों ने पवित्र वैदिक मंत्रों का जाप किया और यज्ञ की आध्यात्मिक शक्ति से गहरे जुड़ाव का अनुभव किया। 114 यज्ञ कुंडों ने सभी के लिए आशीर्वाद, उपचार और समरसता को बुलाने के एकीकृत प्रयास का प्रतीक बनाया। समारोह के दौरान विशेष प्रार्थनाएँ भी की गईं, जो दुनिया में चल रहे युद्धों और सशस्त्र संघर्षों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की कामना करती थीं।
स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर के प्रभारी पूज्य मुनिवत्सलदास स्वामी ने कहा, "हम आज इस यज्ञ में एकत्र हुए हैं इस आशा के साथ कि दुनिया में, पर्यावरण में, समाज में और प्रत्येक व्यक्ति के भीतर शांति बनी रहे। हम प्रार्थना करते हैं कि भगवान सभी को और उनके परिवारों को सुख-समृद्धि प्रदान करें और उन्हें उत्तम स्वास्थ्य का आशीर्वाद दें। भगवान सभी को शांति प्रदान करें।"
जैसे ही कार्यक्रम का समापन हुआ, भक्तगण भक्ति और आनंद में डूब गए, और विजयादशमी उत्सव के वास्तविक अर्थ पर आत्मचिंतन का संदेश लेकर गए। पूरे वातावरण में एक गहन आध्यात्मिक ऊर्जा व्याप्त थी, जिससे भक्तों को गहरे स्तर पर आध्यात्मिक तृप्ति का अनुभव हुआ।