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अकोला में विकास की राह में सरकारी ज़मीनें बनीं बाधा, सुशिक्षित बेरोजगारों की संख्या चिंताजनक

अकोला (प्रतिनिधि) – अकोला शहर में बेरोजगारी अब केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक संकट का रूप ले चुकी है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस बढ़ती बेरोजगारी में बड़ी संख्या सुशिक्षित युवाओं की है। डिग्रियाँ हाथ में हैं, पर नौकरी नहीं। यही वजह है कि बीए, बीकॉम, बीएससी, एमए जैसी डिग्रियाँ रखने वाले युवा भी अब पानीपुरी, चाय, भेलपुरी और आइसक्रीम के स्टॉल लगाकर किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं।
शहर के जिला सरकारी अस्पताल के सामने कुछ सालों से लगभग 70 से 80 स्टॉल्स लग रहे है, जहां विभिन्न खाद्य पदार्थों की बिक्री होती थी। इसी तरह गांधी रोड, कार्मेल स्कूल के पास, अग्रसेन चौक, संतोषी माता चौक, टावर चौक, रतनलाल प्लॉट और अन्य क्षेत्रों में मिलाकर लगभग 450 से 500 स्टॉल्स पर युवा वर्ग मेहनत करता है। हाल ही में इन सरकारी अस्पताल के सामने के स्टॉल्स को अचानक हटाने की कार्यवाही की गई, जिससे इनका एकमात्र रोजगार छिन गया।
यह बात सही है कि सार्वजनिक स्थलों पर अतिक्रमण नहीं होना चाहिए, परंतु जब शहर में वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध नहीं हैं और व्यवस्थित स्टॉल मार्केट या रोजगार ज़ोन नहीं बनाए जाते, तो सुशिक्षित युवा भी मजबूरी में सड़क किनारे स्टॉल लगाने को विवश हो जाते हैं।
शहर के विकास में सबसे बड़ी बाधा वह सरकारी ज़मीनें हैं जो शहर के बीचोंबीच फैली हैं। रेलवे स्टेशन से लेकर अग्रसेन चौक, दुर्गा चौक, संतोषी माता चौक, नेहरू पार्क तक लगभग हर दिशा में प्रमुख भूखंड सरकारी नियंत्रण में हैं। इनमें से करीब 20 एकड़ भूमि सिर्फ जिल्हाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और फॉरेस्ट अधिकारियों के बंगलों में आती है। खास बात यह है कि इन बंगलों में केवल रहवास ही नहीं, खेती भी की जा रही है, जबकि कुछ मीटर दूर ही लोग बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। इन बहुमूल्य ज़मीनों का समुचित उपयोग कर अगर सरकार मल्टीप्लेक्स, मार्केट प्लेस, रोजगार केंद्र या शॉपिंग मॉल बनाती है, तो इससे एक तरफ सरकार को राजस्व मिलेगा, दूसरी तरफ स्थानीय युवाओं को शहर छोड़कर बाहर नहीं जाना पड़ेगा। सरकार और प्रशासन को अब इस मुद्दे को केवल नियमों की दृष्टि से नहीं, बल्कि मानवीय और विकासात्मक दृष्टिकोण से देखना होगा। यदि समय रहते योजनाबद्ध विकास नहीं किया गया, तो आने वाले समय में यह बेरोजगारी और पलायन शहर की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक बन जाएगी।
अकोला को अब सिर्फ सरकारी जमीनों का शहर नहीं, रोजगार और अवसरों का शहर बनाना होगा। और यह तभी संभव है जब सरकार इस दिशा में गंभीर और ठोस कदम उठाए।

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