कार्यक्रम का नाम: जीटीटीसीआई और सूरीनाम दूतावास ने 78वें भारतीय स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में भारत-सूरीनाम संबंधों के भविष्य पर संगोष्ठी आयोजित की।
महेश ढौंडियाल – दिल्ली
शीर्षक: “जीटीटीसीआई और सूरीनाम ने 2047 के विजन के लिए नई वैश्विक साझेदारी बनाई”।
ग्लोबल ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल ऑफ इंडिया (जीटीटीसीआई) ने सूरीनाम दूतावास के साथ मिलकर भारतीय मानव संबंध परिषद (आईसीएचआर) और लायंस क्लब दिल्ली वेज के सहयोग से “भारत-सूरीनाम संबंधों” पर एक संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया, जिसका विषय था “भारत की वैश्विक भागीदारी – 2047 तक एक विकसित राष्ट्र की कुंजी।” यह कार्यक्रम भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह के हिस्से के रूप में नई दिल्ली में सूरीनाम के दूतावास में आयोजित किया गया था। संगोष्ठी में घाना, इथियोपिया, गुयाना, मंगोलिया, पापुआ न्यू गिनी, ताजिकिस्तान, जर्मनी और अन्य वीआईपी सहित विभिन्न विदेशी मिशनों के प्रतिष्ठित राजनयिकों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत भारत और सूरीनाम के राष्ट्रगान से हुई, जिसके बाद पारंपरिक गणेश वंदना की गई, जिससे कई विचार-विमर्शों की श्रृंखला शुरू हुई। जीटीटीसीआई के संस्थापक अध्यक्ष और भारतीय मानव संबंध परिषद (आईसीएचआर) के कोषाध्यक्ष डॉ. गौरव गुप्ता ने सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया और मुख्य वक्ताओं का परिचय कराया।
आईसीएचआर के महासचिव श्री केएल मल्होत्रा ने उद्घाटन भाषण दिया और भारत और सूरीनाम के बीच संबंधों को मजबूत करने के महत्व पर प्रकाश डाला। जीटीटीसीआई और रेलिगेयर समूह की अध्यक्ष डॉ. रश्मि सलूजा ने भारत की वैश्विक भागीदारी और 2047 तक देश के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में उनकी भूमिका पर ध्यान केंद्रित करते हुए विशेष टिप्पणियां दीं।
मुख्य भाषण सूरीनाम के राजदूत महामहिम श्री अरुणकोमर हार्डियन ने दिया, जिन्होंने दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक और पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंधों पर जोर दिया। विशेष अतिथि, बहाई मंदिर के ट्रस्टी श्री ए.के. मर्चेंट ने इस अवसर पर भाग लिया, जिससे वैश्विक भागीदारी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर बातचीत और समृद्ध हुई। कार्यक्रम का एक मुख्य आकर्षण प्रसिद्ध कलाकार प्रभा दुबे और उनकी मंडली द्वारा प्रस्तुत किया गया मनमोहक प्रदर्शन था।
उन्होंने भारतीय शास्त्रीय, राजस्थानी लोक और देशभक्ति के मिश्रण से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जिसमें भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाया गया। सेमिनार में उपस्थित राजदूतों और राजनयिकों तथा जीटीटीसीआई सदस्य श्री नवीन शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए, जिन्होंने भारत की वैश्विक भागीदारी के विषय पर अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम का समापन श्री पी.एस. ढींगरा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसके बाद एक समूह फोटो, केक काटने की रस्म और हाई टी पर नेटवर्किंग सत्र हुआ। लायन कपिल खंडेलवाल, संजय अग्रवाल, गोपाल खंडेलवाल, पवन वैश, दीपांकर, प्रीति पूजा और डॉ. तनवीर सिंह सहित कई जीटीटीसीआई सदस्य भी समारोह में शामिल हुए, जिन्होंने कार्यक्रम के जीवंत और सहयोगी माहौल में योगदान दिया। उनकी उपस्थिति ने वैश्विक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए जीटीटीसीआई समुदाय के भीतर मजबूत समर्थन और प्रतिबद्धता को और अधिक रेखांकित किया। इस कार्यक्रम में 2047 के लिए भारत के विजन को प्राप्त करने, भारत और सूरीनाम के बीच मजबूत संबंधों को बढ़ावा देने तथा लोकतंत्र और विकास के साझा मूल्यों का जश्न मनाने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व को रेखांकित किया गया।