स्वशासी मेडिकल काॅलेज के हुनरबाजो ने बचाई महिला की जांन।

भूपेन्द्र श्रीटाइम्स – सुल्तानपुर

  • मौंत के मुहाने पर महिला को लाकर प्राइवेट नर्सिंगहोम ने कर दिया रेफर।

डाॅक्टर का मतलब ही ऐतबार से जुडा़ है,ईलाज के नाम पर इंसान आंख बंद करके अपनी जिंदगी चिकित्सक रूपी भगवान के हवाले करने में तनिक भी हिचकिचाहट महसूस नही करता। लेकिन अब शायद धरती के भगवान कहे जाने वाले डाॅक्टर के माने करवट लेने लगे है। अब इन्हें मर्ज व फर्ज़ से नही बल्कि अपनी गर्ज़ से मतलब ज्यादा है। इनके वजह से वो भी बदनामी का दंश झेलने को मजबूर है। जो आज भी अपने पेशे को ईमान की कसौटी पर कसे हुए है। हम बात कर रहे है एक ऐसी मरीज की जो एक निजी नर्सिंगहोम में डिलिवरी के लिए गई थी। उस महिला के दो बच्चे पहले से ही एक नार्मल और एक आप्रेशन से हुए थे। तीसरे बच्चे की डिलिवरी के लिए एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हुई थी। निजी नर्सिंगहोम के डाक्टरो ने उक्त महिला का आप्रेशन किया। बच्चे की खेरी महिला के बच्चेदानी में ही रह गई। महिला को अचेत अवस्था में रिफर कर दिया। जबकि महिला के शरीर में रक्त की बेहद कमी थी। उसका यूट्रस भी फट गया था। पूरे पेट में खून के थक्के जम गए थे। ऐसी हालत में महिला मौंत और जिंदगी के बीच झूल रही थी। महिला के पति की भी आर्थिक स्थिति उस लायक नही थी की वह लखनऊ या किसी अच्छे अस्पताल से ईलाज करवा सके। बहरहाल महिला को गंभीर हालत में लेकर स्वशासी मेडिकल काॅलेज लाया गया। जहां उसकी नाजुक हालत को देखते हुए उसे फौरन भर्ती करते हुए आप्रेशन थिएटर लाया गया। मेडिकल काॅलेज प्रशासन ने रक्त का इंतेजाम करते हुए डाॅ.सरोज दूबे, डाॅ.निशीकांत गुप्ता, ओटी टैक्निशियन इरफान, स्टाफनर्स सुमन, मधु, प्रतिमा, सुनील और वार्ड आया ज्योति व विनीता की टीम तैयार की गई।

मुख्य चिकित्साधिक्षक डाॅ.आरके यादव के नेत्तृव में आप्रेशन शुरू हुआ घंटो चले आप्रेशन में डाक्टरो व सहयोगी टीम ने महिला का जीवन बचाने में कामयाब हुए। इस सफल आप्रेशन में गायनी/सर्जन डाॅ.सरोज दूबे व एनेस्थेटिक्स डाॅ.निशीकांत गुप्ता की मुख्य भूमिका रही। परिजनो ने स्वशासी मेडिकल काॅलेज के डाक्टरों व आप्रेशन टीम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए धन्यबाद ज्ञापित किया।

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