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जेयू: दो दिवसीय गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम का समापन।

गुलशन परुथी- ग्वालियर

  • विद्यार्थियों को सदैव सही मार्ग पर चलना चाहिए- स्वामी ऋषभदेव आनंद जी महाराज।
  • गुरु पूर्णिमा महोत्सव विनम्रता का महोत्सव है- डॉ. उमाशंकर पचौरी।
  • विद्यार्थियों को सदैव अपना लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए- प्रो. अविनाश तिवारी।

शिक्षकों की पूजा उनके त्याग से होती है और विद्यार्थियों की पूजा उनके स्वीकार से होती है। यदि स्वयं को समझना है तो यह जानना जरूरी है कि आप जो कार्य कर रहे हैं, वह किस समर्पण के साथ कर रहे हैं। विद्यार्थियों को सुखों का त्याग करना चाहिए, सुखों का त्याग किए बिना आप अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते। विद्यार्थियों को आत्मकेंद्रित नहीं बनना चाहिए, उन्हें गुरुमुखी बनना चाहिए। विद्यार्थियों को सदैव सही मार्ग पर चलना चाहिए। यह बात लाल टिपरा गौशाला से आए स्वामी ऋषभदेव आनंद जी महाराज ने सोमवार को जेयू में आयोजित गुरु पूर्णिमा महोत्सव के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में कही। विशिष्ट अतिथि के रूप में शिक्षाविद् डॉ. उमाशंकर पचौरी और कुलसचिव अरुण सिंह चौहान मौजूद रहे। कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी। कार्यक्रम के दौरान स्वामी ऋषभदेव आनंद जी महाराज और डॉ. उमाशंकर पचौरी को शॉल और श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक और गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम संयोजक प्रो. जेएन गौतम ने स्वागत भाषण दिया और गुरु पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डाला। इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि और मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद डॉ. उमाशंकर पचौरी ने कहा कि मनुष्य का जन्म इसलिए होता है कि वह अच्छे कर्म कर सके। मोक्ष की भूमि सिर्फ भारत ही है। बाकी दुनिया भोग की भूमि है। जिनमें एक गुना पुण्य होता है, वे मनुष्य बनते हैं। जिनमें दोगुना पुण्य होता है, वे भारत में जन्म लेते हैं। जिनमें तीन गुना पुण्य होता है, उन्हें शिक्षक बनने का अवसर मिलता है। विद्यार्थियों को किस तरह से ढाला जा सकता है, यह गुरु ही समझ सकते हैं। गुरु पूर्णिमा का पर्व विनम्रता का पर्व है। गुरु वह होता है, जो दूसरा गुरु बन जाता है, पूर्णता लाता है। शरीर के लिए धन, मन के लिए सम्मान, बुद्धि के लिए ज्ञान, आत्मा के लिए भगवान। सिमरन के साथ सेवा की जरूरत होती है, तभी साधना पूरी होती है।

गुरु वह होता है, जो संभावना को संभव बनाता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जेयू कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी ने कहा कि विद्यार्थी को अपना लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है। संघर्ष के बिना सफलता नहीं मिल सकती। असफलता हमेशा सफलता की ओर ले जाती है। अवसर हमेशा आते रहेंगे, अवसर को पहचानने का ज्ञान होना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान ग्रामीण पर्यटन महोत्सव की स्मारिका ‘देशज दर्शन‘ का विमोचन किया गया। इसी क्रम में लाल टिपरा गौशाला और जेयू के बीच एक समझौता (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे जेयू के छात्रों को शोध करने में मदद मिलेगी। कार्यक्रम का संचालन साक्षी राठौर ने किया और प्रो. जेएन गौतम ने आभार व्यक्त किया। आदर्श और वकार ने तकनीकी सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कार्यक्रम के सफल आयोजन में अनामिका भदौरिया, अपेक्षा श्रीवास्तव, खुशबू राहत, शकील, संजय जादौन का सराहनीय योगदान रहा। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी, लाल टिपरा गौशाला से स्वामी ऋषभदेव आनंद जी महाराज, कुलसचिव अरुण सिंह चौहान, प्रो. जेएन गौतम, प्रो. एसके गुप्ता, प्रो. एके सिंह, प्रो. एमके गुप्ता, प्रो. आईके पात्रो, प्रो. हेमंत शर्मा, प्रो. एसके सिंह, डॉ. हरिशंकर कंषाना, पंकज उपाध्याय सहित तमाम अधिकारी, कर्मचारी व छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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