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ब्रह्माकुमारीज बिजनेस विंग की आध्यात्मिकता प्रेरित वित्तीय विकास कार्यशाला संपन्न

गुलशन परुथी | ग्वालियर।

जो चाहिए वह दूसरों को दीजिए आपको कई गुना अधिक लौटकर मिलेगा – डॉ गुरचरण सिंह

किसी को आगे बढ़ते देख ईर्ष्या ना पाले आध्यात्मिकता की मदद से खुद को आगे बढ़ाएं – बीके आदर्श दीदी

मुस्कुराहट ही जीवन है, इसलिए सदा मुस्कुराते रहिए – बीके प्रहलाद


प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एज्युकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के व्यापार एवं उद्योग प्रभाग द्वारा आज एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में अबंडंस एक्सीलेटर हब के फाउंडर डॉ. गुरचरण सिंह, ब्रह्माकुमारीज की केंद्र प्रभारी बीके आदर्श दीदी, मुख्य अतिथि मुख्तियार सिंह यादव (सेवानिवृत्त वरिष्ठ लेखा परीक्षा अधिकारी) तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. मनमोहन कौर, डॉ, कनुप्रिया आहूजा, उपस्थित थीं। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। तत्पश्चात बीके डॉ गुरचरण सिंह ने सभी को संबोधित किया और कहा कि सभी को वर्तमान में जीना चाहिए ज्यादातर लोग भूतकाल और भविष्य काल में जीते हैं यही अशांति का कारण बन जाता है।
उन्होंने कहा कि दीपावली पर लक्ष्मी (धन) को पूजते हैं इसका मतलब है कि लक्ष्मी अति आवश्यक है।

अध्यात्म हमें संपन्न बनाता है हर क्षेत्र विशेष में सफल होने में सहायक भूमिका निभाता है। यहां तक कि आर्थिक रूप से भी सफल होने में अध्यात्म की भूमिका है। धन तनाव नहीं लाता जब व्यक्ति अध्यात्म के साथ धन कमाने में विश्वास रखता है। अधिक कमायें और अधिक टेक्स दें यह मानसिकता होनी चाहिए। टेक्स बचाने की मानसिकता नहीं होनी चहिए। सदैव सकारात्मक रवैया धन के प्रति रखें, धन के प्रति नकारात्मक रवैया न रखें। सदैव भरपूरता से जुड़े रहे। जो दिमाग पर चढ़ जाए वह माया है। जो आध्यात्मिकता से दूर ले जाए वह भी माया है। दीपावली पर हम श्री लक्ष्मी जी, श्री गणेश जी, माँ सरस्वती जी की पूजा करते हैं ज्ञान की देवी मां सरस्वती के साथ जब गणेश जी की पूजा अर्चना के साथ हम आगे बढ़ते है तो श्री लक्ष्मी जी कृपा होती है। अर्थात धन जीवन में आता है। धन खराब नहीं है धन को सदा धन्यवाद कहिए धन ऊर्जा प्रदान करता है, तभी लक्ष्मी जी के हाथ से धन बरसता दिखाई देता है।

  • आदत और संस्कार –
  • बचत की आदत डालें
  • समस्याओं के लिए रोना छोड़कर बाधायों को छलांग लगाकर पार करें।
  • जो चाहिए वह दूसरों को दीजिए आपको कई गुना अधिक लौटकर मिलेगा
  • याद रखें में परमपिता परमात्मा की संतान हूं। इस बात का अभिमान नहीं स्वाभिमान होना चाहिए।

बीके प्रहलाद भाई ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि सदैव सकारात्मक व अच्छा सोचे। हम अपनी-अपनी भूमिका निभा रहे हैं। दूसरों की नकारात्मकता से प्रभावित न हो, अपनी सकारात्मक से प्रभावित करें। जिसे जीवन जीने की कला आती है उसका जीवन बेहतर बन जाता है मुस्कुराहट ही जीवन है इसलिए सदा मुस्कुराते रहिए। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से वित्तीय विकास कर सकते है। आध्यात्मिकता को साथ लेकर हम अपनी आर्थिक व्यवस्थाओं को मजबूत बना सकते हैं। परमपिता परमात्मा से जुड़ने से हमें वह शक्तियां प्राप्त होती हैं जिनका रहस्य हम भूल गए हैं। कर्म ही भाग्य लिखते हैं। परमात्मा से जुड़कर कर्मों को श्रेष्ठ बनाकर भाग्य बदल सकते हैं।

डॉक्टर कनुप्रिया आहूजा ने कहा कि देवी और देवताओं से हमें पॉजिटिव एनर्जी प्राप्त होती है। किसी की उन्नति को देखकर प्रसन्न होंगे तो आप भी उन्नति को पाएंगे। डॉ मनमोहन कौर ने कहा कि घृणा और द्वेष से दूर रहे आप पीछे चले जाएंगे आगे जाने के लिए घृणा और द्वेष को छोड़े सबके लिए अच्छा करें कभी किसी का बुरा नहीं सोचे।

मुख्य अतिथि के रूप में पधारे सेवानिवृत लेखा परीक्षा अधिकारी मुख्तार सिंह यादव
ने कहा कि यह कार्यक्रम रुचिकर लगा में कार्यशाला से अभिभूत हूं। ऐसा लगता है, हम कुछ अच्छा कर सकते हैं अध्यात्म से आपकी कार्यप्रणाली में निखार आएगा आध्यात्मिकता के समावेश से हर कार्य संभव है। इस तरह की कार्यशाला होते रहना चाहिए क्योकि आज आर्थिक रीति से संपन्न होने के लिए काफी चुनौतियों का सामना मनुष्यों को करना पड़ता है। आध्यात्मिकता हमारी वितीय विकास में किस तरह से मदद करती वह इस कार्यशाला से हमने जाना।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही केंद्र प्रभारी बीके आदर्श दीदी ने कहा कि इंसान की इच्छाएं बहुत बढ़ गई है क्षमता से अधिक जब धन का खर्च करते हैं तो समस्याएं और ही बढ़ जाती हैं इन परिस्थितियों में आध्यात्मिकता को साथ लेकर बचत व समझदारी से व्यय कर जीवन को अनुकूल बना सकते हैं।

आध्यात्मिकता के साथ हम बहुत आगे जा सकते हैं, ऊंचाईयों पर जा सकते हैं। कम से कम खर्चे में कार्यों को अंजाम दें। ईश्वरीय ज्ञान से व्यसन व व्यर्थ धन खर्च से बच सकते हैं। धन को प्यार व सम्मान से खर्च करें। किसी को देखकर ईर्ष्या ना पाले आध्यात्मिकता के साथ खुद को आगे बढ़ाएं। सदैव सीमित होकर अपनी गतिविधियों को अंजाम दें। जीवन में ध्यान व योग को अवश्य शामिल करें।

कार्यक्रम में बीके जीतू ने ब्रह्माकुमारीज के व्यापार एवं उद्योग प्रभाग की जानकारी दी तथा संस्थान के प्रतिभाशाली भाई बीके पवन ने अपनी नृत्य प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का कुशल संचालन एवं आभार बीके प्रहलाद ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगो ने हिस्सा लिया।

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