एकान्तर उपवास के सामूहिक होते पारणें भीषण गर्मी में सामूहिक वर्षितप आराधना जारी।
ब्यूरो चीफ रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी | झाबुआ | थांदला धर्म धरा थांदला में धर्म का अनूठा प्रभाव देखने को मिल रहा है। एक तरफ जहाँ सूर्य की तपिश शरीर में उष्णता पैदा कर मन को अशांत कर रही है तो दूसरी दूसरी ओर जैन धर्मावलंबी तन को तपा देने वाली भीषण गर्मी में भी दुष्कर वर्षीतप की आराधना कर रहे है।
जानकारी देते हुए संघ अध्यक्ष भरत भंसाली, सचिव प्रदीप गादिया व प्रवक्ता पवन नाहर ने बताया की तप प्रधान जिन शासन में धर्म तीर्थ प्रणेता प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभदेव भगवान के जन्म व दीक्षा कल्याणक दिवस कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी से जैन धर्मावलंबी में वर्षीतप की आराधना प्रारम्भ करने का विधान है। करीब 13 माह 13 दिन तक चलने वालें इस तप को करने वालें आराधक एक दिन के अंतर से केवल गर्म अथवा धोवन पानी के आधार पर निराहार रहकर उपवास तप करते है जो दूसरे वर्ष वैशाख के शुक्ल तृतीया (अक्षय तृतीया/ आखा तीज) के दिन पूर्ण होती है। ऐसे में जिन शासन गौरव जैनाचार्य पूज्य श्रीउमेशमुनिजी के शताब्दी वर्ष में करीब 72 आराधकों द्वारा समूहिक वर्षीतप की आराधना की जा रही है। ललित जैन नवयुवक मंडल अध्यक्ष रवि लोढ़ा, सचिव सन्दीप शाहजी व मीडिया प्रभारी समकित तलेरा ने बताया कि श्रीसंघ में वर्षीतप की पहली बार आरधना हो रही है जिसको लेकर सभी आराधकों में जबरजस्त उत्साह है। थांदला संघ के उदारमना दानदाताओं के सहयोग से व नित्य एक लाभार्थी परिवार के सहयोग से सबके सामूहिक पारणें महावीर भवन पर हो रहे है। आज अट्ठाविसवें पारणें का लाभ स्व. मनोहरलाल शाहजी की स्मृति में मालतिदेवी शाहजी परिवार द्वारा लिया गया। मालती देवी, प्रेमलता सेठिया, अंजू खारीवाल, सारिका मेहता, मौनिका चौधरी, सुशीला बहन चौरड़िया, पुष्पा नवलखा आदि शाहजी परिवार व इनकी बहन बेटियों ने सभी आराधकों को पारणा करवाते हुए तिलक निकालकर प्रभावना प्रदान की।
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