ग्वालियर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. सोमेश विरमानी और डॉ. वेद प्रकाश ने महत्वपूर्ण जानकारी साझा की.
गुलशन परुथी- ग्वालियर
ग्वालियर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसोसिएट डायरेक्टर एंड हेड, पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक्स – डॉ. सोमेश विरमानी और सीनियर कंसलटेंट, कार्डियोथोरेसिक एवं वास्कुलर सर्जरी – डॉ. वेद प्रकाश ने महत्वपूर्ण जानकारियों को साझा किया।
डॉ. सोमेश विरमानी ने बच्चों में हड्डियों से संबंधित समस्याओं के नवीनतम उपचारों पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब नई तकनीकों और आधुनिक चिकित्सा विधि की मदद से बच्चों के जटिल हड्डी रोगों का सफलतापूर्वक उपचार किया जा सकता है। बच्चों के शरीर का विकास तेजी से होता है, इसलिए उनकी समस्याओं का उपचार अलग ढंग से करना पड़ता है। उनकी हड्डियों की संरचना और विकास की प्रक्रिया वयस्कों से भिन्न होती है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, डॉ. विरमानी ने कुछ आम समस्याओं पर भी प्रकाश डाला जिनका सामना बच्चे करते हैं, जैसे कि जन्मजात विकृतियाँ, विकास संबंधी विकार, फ्रैक्चर, और अन्य हड्डी संबंधित समस्याएँ। उन्होंने बताया कि समय पर निदान और उपचार से बच्चों की समस्याओं का समाधान किया जा सकता है और वे सामान्य जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कहा, “हम नवीनतम तकनीकों और उपकरणों का उपयोग करते हैं ताकि बच्चों को कम से कम दर्द हो और वे जल्द से जल्द स्वस्थ हो सकें।”
अंत में, डॉ. विरमानी ने माता-पिता से अपील की कि वे अपने बच्चों की हड्डियों और जोड़ों की समस्याओं को गंभीरता से लें और किसी भी असामान्य लक्षण दिखाई देने पर तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श लें। “बच्चों का सही समय पर और उचित उपचार उनके भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।”
डॉ. वेद प्रकाश ने मिनिमली इनवेसिव कार्डिएक सर्जरी के बारे में विशेष जानकारी साझा की| उन्होंने कहा कि मिनिमली इनवेसिव कार्डिएक सर्जरी, परंपरागत ओपन-हार्ट सर्जरी की तुलना में एक अत्याधुनिक और उन्नत तकनीक है। इस सर्जरी में छोटे-छोटे चीरे लगाए जाते हैं, जिससे मरीज़ को कम दर्द होता है और रिकवरी भी तेजी से होती है। डॉ. वेद ने समझाया कि इस प्रक्रिया के दौरान, हृदय पर सीधे पहुंचने के लिए सामान्य रूप से दाएं या बाएं सीने पर छोटे चीरे लगाए जाते हैं। इससे ना केवल ऑपरेशन का समय कम होता है, बल्कि हॉस्पिटल में रहने का समय भी कम हो जाता है। इसके अलावा, मिनिमली इनवेसिव सर्जरी से संक्रमण का खतरा भी कम होता है और मरीज़ जल्द से जल्द अपने सामान्य जीवन में लौट सकता है।
उन्होंने यह भी बताया कि इस तकनीक का उपयोग विभिन्न प्रकार की हृदय समस्याओं के इलाज के लिए किया जा सकता है, जैसे कि हृदय वाल्व रिपेयर और रिप्लेसमेंट, कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्टिंग (CABG), और अन्य जटिल हृदय सर्जरी। डॉ. वेद ने कहा कि यह सर्जरी उन मरीज़ों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकती है, जिनकी स्थिति कमज़ोर होती है या जिनके लिए परंपरागत सर्जरी जोखिम भरी हो सकती है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दोनों डॉक्टरों ने मीडियाकर्मियों के सवालों का जवाब दिया और भविष्य में होने वाले रिसर्च एवं विकास के बारे में जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी टीम निरंतर नई तकनीकों और उपचार विधि को विकसित करने में लगी हुई है।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में ग्वालियर के विभिन्न क्षेत्रों के कई गणमान्य व्यक्तियों, स्वास्थ्य कर्मी और मीडिया के प्रतिनिधि ने भाग लिया।