महान साहित्य साधक डॉ रामशंकर चंचल जिसके लाखों चाहने वाले।
रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी – झाबुआ
मध्य प्रदेश के आदिवासी पिछड़े इलाके में झाबुआ जिले का महान साहित्य साधक, जिसने उम्र के 17 साल में ही, आकाशवाणी इंदौर से अपनी दस्तक दी। आज उम्र के ६७ साल में भी इतनी ही ऊर्जा समेटे हुए। बल्कि पहले से दुगनी ऊर्जा को लिए।
आज, भारत में, बेहद चर्चित एक ऐसा नाम, जो किसी भी परिचित का मोहताज नहीं।
सतत् कर्मशील, सदाबहार, साहित्यकार, जिसके जीवन की अद्भुत दर्द भरी कहानी। जिसने जीवन में, बीवी, बेटा, पोता, दोस्त, प्यार सब कुछ खोया उसके बावजूद, बहुत कुछ दिया देश के साहित्य को। हिन्दी भाषा को अद्भुत प्रेरणा देता आने वाले कल को युवा पीढ़ी को, एक ऐसा साहित्य कार मसीहा, जिसकी कोई जाति धर्म और पार्टी नहीं। मानवता का कट्टर समर्थक आम आदमी के लिए सदा ही लिखता प्यार के अद्भुत पावन चरित्र को, रचना, गाता, सहज सरल, सादगी की अनुपम उदाहरण जिसे देख, ओर मिल कर कोई भी विश्वास नहीं करता है की ये, वही डॉ रामशंकर चंचल है। जिसके देश में, विश्व में आज, लाखों चाहने वाले है। उम्र के 67 साल में भी, पहले से अधिक ऊर्जा लिए, जीता, कहीं आना जाना नहीं, अपना कमरा, और जंगल में प्रकृति को ईश्वर मान सदा ही, अधिक से अधिक समय, उसके साथ, बिताना और सदा ही प्रसन्न होकर जीने का। दुनिया को हर पल, संदेश देने का सार्थक कार्य करता सचमुच बेहद चौकाने वाला है।
प्रणाम, झाबुआ की देव भूमि, जहाँ जन्म लिया, साहित्य का, कालजयी साहित्य साधक, एक नेक इंसान, जो आज सेकड़ों लोगो के लिए आदर्श बना हुआ है।