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निस्वार्थ सेवा आवश्यक है - सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज।

महेश ढौंडियाल - दिल्ली

हरिजन सेवक संघ के 92वें स्थापना दिवस पर सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने 24 सितंबर 2024 को आयोजित सद्भावना सम्मेलन को आशीर्वाद दिया। सभी को आशीर्वाद देते हुए माताजी ने कहा, "मानव तभी सच्चा मानव बनता है जब वह सभी भेदभावों से ऊपर उठकर सभी में ईश्वर को देखता है और बिना किसी व्यक्तिगत लाभ की इच्छा के निस्वार्थ भाव से सभी की सेवा करता है।"

इस अवसर पर हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार सान्याल और उपाध्यक्ष श्री नरेश यादव ने सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज और निरंकारी राजपिता रमित जी का पारंपरिक शॉल और सूती दुपट्टा भेंट कर हार्दिक स्वागत और सम्मान किया। इस संस्था की स्थापना करने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित एक चरखे का मॉडल भी संघ की ओर से सतगुरु माता जी को स्मृति चिह्न भेंट किया गया।

कार्यक्रम में हरिजन सेवक संघ के विद्यार्थियों द्वारा एक सुन्दर स्वागत गीत तथा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। निरंकारी संगीत एवं कला संस्थान (नीमा) के बच्चों ने भी महात्मा गांधी के प्रिय भजन "वैष्णव जन" तथा अन्य भक्ति गीतों की मधुर प्रस्तुति से माहौल को भावपूर्ण बना दिया। डॉ. सान्याल ने महात्मा गांधी तथा कस्तूरबा गांधी के मार्गदर्शन पर विचार करते हुए संघ की गतिविधियों पर प्रकाश डाला तथा संत निरंकारी मिशन के सिद्धांतों के माध्यम से "वसुधैव कुटुम्बकम" (विश्व एक परिवार है) के दर्शन को मूर्त रूप देने के लिए सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने सामाजिक उत्थान में मिशन के निरंतर प्रयासों की भी प्रशंसा की। निरंकारी राजपिता जी ने भी उपस्थित जनसमूह को आशीर्वाद देते हुए कहा कि एक बार जब कोई सच्चे गुरु (सतगुरु) के माध्यम से ईश्वर की प्राप्ति कर लेता है, तो वह दूसरों के दर्द को अपना दर्द समझने लगता है तथा इस सहानुभूति के माध्यम से अहंकार से मुक्त होकर सेवा को अपनाता है। कार्यक्रम के समापन पर संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के सचिव श्री जोगिंदर सुखीजा ने हरिजन सेवक संघ के सभी सदस्यों और पूरे भारत से आए विशेष अतिथियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने नवंबर में होने वाले 77वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के लिए सभी को हार्दिक निमंत्रण भी दिया।

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