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अधिकारियों द्वारा बायोमैट्रिक अटेंडेंस को वेतन और भत्तों से जोड़ने पर चिकित्सक नाराज।

गुलशन परुथी | म.प.

उपमुख्यमंत्री के अश्वासन पर आन्दोलन बुधवार तक के लिए स्थगित,मध्य प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सकों अपने अपने अधिस्ठता को विरोधस्वरूप मंगलवार से बंधेंगे काली पट्टी का पत्र दे चुके थे।

विदित है कि नेशनल मेडिकल कमिशन इंडिया जो कि सभी चिकित्सा महाविद्यालय को मान्यता देती है एनएमसी सभी चिकित्सा महाविद्यालय में घोस्ट फैकल्टी को चिन्हित करने के लिए या किराए के चिकित्सकों को पकड़ने के लिए एक एप्लीकेशन बनाई जिसका नाम है आधार बेस्ड इनरोलमेंट अटेंडेंस इसको लेकर नेशनल मेडिकल कमिशन ने पिछले वर्ष जुलाई से देश के सभी चिकित्सा महाविद्यालय में यह कंपलसरी किया कि सभी चिकित्सक शिक्षक, जुडा, एसआर, जेआर अपनी अपनी उपस्थित पंच करके लगाए शुरुआत में कई चिकित्सा महाविद्यालय उन्हें इसको गंभीरता से नहीं लिया परंतु धीरे-धीरे सभी चिकित्सा महाविद्यालय इसक गंभीरता को लेकर आगे बढ़े और आज तकरीबन पूरे मध्यप्रदेश के सभी चिकित्सा महाविद्यालय में इसकी अटेंडेंस और पंच करने को लेकर कोई विवाद नहीं है और सभी चिकित्सक स्वत इस पर अपनी अटेंडेंस लगाते हैं।

विवाद की शुरुआत तब हुई जब हुई जब नेशनल मेडिकल कमिश्नर ने मध्य प्रदेश के चार-पांच चिकित्सा महाविद्यालय में उपस्थिति के प्रतिशत को कम मानते हुए पेनल्टी लगाई इसको ध्यान में रखते हुए पिछली बुधवार की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक में कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन श्री पिथोड़े जी ने यहां निर्देश दिए की सभी चिकित्सा महाविद्यालयों के चिकित्सकों की बायोमैट्रिक अटेंडेंस को वेतन के साथ लिंक कर दिया जाए, एवम एनएमसी चिकित्सकों की कमी के कारण जो पेनल्टी लगा रही है वो चिकित्सकों से वसूला जाए,चिकित्सक इस बात से बेहद खफा है और उनका यह कहना है कि इस तरह का आदेश ,इस तरह की प्रक्रिया पूरे देश में कहीं भी नहीं है। एनएमसी ने अपनी गाइडलाइन में ना तो इसको वेतन से लिंक करने की बात की है और ना ही भत्तों से लिंक करने की बात की है । एनएमसी यह कार्य केवल घोस्ट फैकल्टी को ढूंढने के लिए करती है ताकि कई चिकित्सा महाविद्यालय खासतौर पर प्राईवेट मेडिकल में ये अव्यवस्था ना हो ।

इसमें एक बात यहां पर पूरी तरह से उल्लेखित है कि नेशनल मेडिकल कमीशन के द्वारा दिए गए निर्देशों का अधिकारी भी पूरी तरह से पालन नहीं कर रही है नेशनल मेडिकल कमिशन ने सभी सरकारो को ये सलाह दिए है कि नए मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए न्यूनतम स्तर पर फैकेल्टी को रख सकते है परंतु साथ में यह भी कहा है कि चिकित्सा महाविद्यालय में व्यवस्था सुचारू रूप से चलाने के लिए एवं अन्य कार्यों के लिए यह संख्या पर्याप्त नहीं है और हमारे दिए गए न्यूनतम मानकों से बढ़कर 25 से 30% अतिरिक्त चिकित्सा शिक्षकों की भर्ती करनी चाहिए ताकि जो चिकित्सक नियमानुसार छुट्टी पर हों या किसी तरह से शासकीय कार्य पर हो या कोई मेडिकल इमरजेंसी में हो या कोई और कहीं पर हो तो उसकी उपस्थिति पर या छात्रों के अध्यापन पर या क्लीनिकल कार्यों पर किसी तरह का कोई असर ना हो। एक तरफ सरकार एनएमसी के न्यूनतम भर्ती मानकों पर कार्य कर रही है और दूसरी तरफ चिकित्सकों का से यह उम्मीद करती है कि वह यह कार्य स्टैंडर् स्तर पर करे और सबकी उपस्थिति एनएमसी के अनुसार हो। कई अधिस्थताओं ने तो आगे बढ़ते हुए सभी नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ एवं अन्य की वेतन और भत्तों को भी इसी अटेंडेंस के साथ जोड़ दिया ।

एक तरफ सरकार को प्रदेश में चिकित्सा ढूंढे से नहीं मिल रहे हैं जिसका उदाहरण 10 दिन पहले हुए पांच नए सरकारी मेडिकल कॉलेज के इंटरव्यू में 450 पदों पर मात्र 150 चिकित्सक ही आए एवं उनकी मान्यता भी अब खतरे में पड़ चुकी है सरकार इन सबसे शिक्षा ना लेते हुए ऐसे ऐसे आदेश निकल रही है जिससे चिकित्सकों का सरकारी नौकरी से मोह भंग हो।

आज दोपहर में पीएमटीए के पदाधिकारीयों ने उप मुख्यमंत्री के ऑफिस में जाकर चर्चा की तथा उनके ऑफिस के अधिकारियों ने जब इस विषय पर माननीय उपमुख्यमंत्री की संज्ञान में लेकर आए तो उन्होंने वहां से संदेश भेजो कि मैं 2 दिन के लिए बाहर हूं और वहां से आकर इस विषय का निराकरण करूंगा तब तक चिकित्सा किसी भी तरह के आंदोलन को ना पैदा करें उनकी बात को मानते हुए प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर एसोसिएशन के सभी पदाधिकारी ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेज के सभी चिकित्सा शिक्षक अपने आन्दोलन को 6जून तक के लिए स्थगित करते है माननीय उप मुख्यमंत्री जी दो दिनों के बाद मिलने पर अगले आंदोलन का विचार होगा।

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